Sawan Vrat Katha in Hindi

by Pandit Pankaj Guruji

Sawan Vrat Katha in Hindi

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Sawan Vrat Katha in Hindi - श्रावण सोमवार का महत्त्व, व्रत कथा, विधि,पुजाएँ और त्यौहार।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वतीने भगवान शंकर की श्रावण मासमें आराधना की थी। इसीलिए भगवान शंकर की आराधना करने के लिए इस महीने का चुनाव किया गया है। श्रावण मास का आरम्भ जुलाई महीने के मध्य से लेकर होता है, तथा अगस्त महीने के बीच समाप्त होता है।

श्रावण सोमवार व्रत कथा:

शिव महापुराण के अनुसार, माता पार्वती के मनमें भोलेनाथ शंकर से विवाह करने की इच्छा जागृत हुई, जिसके लिए उन्होंने दीर्घकाल तक तपस्या एवं आराधना की थी। 

जिसके कारण महादेव अतिप्रसन्न हुए और उनसे वरदान माँगने के लिए कहा, माँ पार्वती ने भोलेनाथ शंकर से विवाह करने की इच्छा जताई,और शंकर भगवान उनसे विवाह के बंधन में बंध गए। तब से लेकर आजतक अनेक महिलाएँ एवं पुरुष विवाह की इच्छा पूरी करने के लिए इसी श्रावण मासमें व्रत (अनुष्ठान) करते हैं। यह मास श्रवण नक्षत्रमें आने से इसे श्रावण मास कहा जाता हैं।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगका आध्यात्मिक महत्त्व:

श्री ब्रह्मा-विष्णु-महेश का एकत्रित रूप त्र्यंबकेश्वर में ज्योतिर्लिंग रूप में विद्यमान है। पवित्र त्रिमूर्तिओं का सारतत्व इसी ज्योतिर्लिंगमें है, जो बाकी ११ ज्योतिर्लिंग स्थान पर नहीं पाया जाता।

ऋषि गौतम की तपस्या से देवी गंगा यहाँ प्रकट हुई एवं भगवान भोलेनाथ से त्रिदेव स्वरूप में विराजमान होने की विनती की थी। हर दिन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को गंगा नदी के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। 

यहाँ शैव परंपरा के अनुसार त्रिकाल पूजा की जाती है। त्र्यंबकेश्वर एकमात्र ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ हजारो साल से त्रिकाल पूजा होती आ रही है।

श्रावण सोमवार व्रत विधि:

  • हर सोमवार भक्त प्रात:काल से लेकर सूर्यास्त होने तक व्रत का आयोजन करते है। 
  • हर भक्त नित्य भगवान त्र्यंबकेश्वर को बेल पत्र (बेल के पत्ते) अथवा बिल्व फल अर्पण करते है। 
  • दूध अर्पण किया जाता है। 
  • अनेक भक्त त्र्यंबकेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक करवाते है। 
  • श्रावण सोमवार व्रत के दौरान कुछ भक्त श्रावण मास में पुरे दिन एक समय एवं कुछ भक्त दिनमें केवल दो बार फल/दूध/साबूदाना खिचड़ी/छाछ का सेवन करते है।

श्रावण मासमें शिव मन्त्र का जाप:

  • पुरे श्रावण मासमें भक्तों द्वारा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए मन्त्रोंका जाप किया जाता है। मन्त्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष भगवान शंकर को अतिप्रिय होने से जाप में लाभ होता है।
  • कुछ भक्त महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करते है जो इस प्रकार है - "ॐ त्र्यम्बकम यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीयमामृतात।"
  • अनेक भक्त पंचाक्षरी शिव मन्त्र का जाप करते है - "ॐ नमः शिवाय।"
  • रूद्र गायत्री मन्त्र - "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे। महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात।"
  • यजुर्वेद शिव स्तुति मन्त्र - "कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारबिन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।"
  • इस प्रकार मन्त्रजाप पुरे होने पर भक्तोंद्वारा पूजा-पाठ किया जाता है, जिससे उनकी मनोकामना फलीभूत हो। इसे उद्यापन कहा जाता है, जो रुद्राभिषेक कराने से सम्पन्न होता है, ऐसी प्राचीन मान्यता है।

श्रावण सोमवार के महत्वपूर्ण दिन:

श्रावण माह ऐसा महीना होता है जिसमे ४ से ५ सोमवार आते है। उत्तरी भारत में पूर्णिमा कैलेण्डर तथा दक्षिणी भारत में अमावस्यांत कैलेण्डर को माना जाता है इसी कारण श्रावण माह की तिथियाँ भी भिन्न हो जाती है।

श्रावण सोमवार २०२३:

श्रावण सोमवार व्रत - महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश, तामिलनाडु और कर्नाटक

  • सोमवार, २०२३  अगस्त १७ - प्रथम श्रावण सोमवार व्रत ।
  • सोमवार, २०२३  अगस्त १६ - दूसरा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त २३ - तीसरा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त ३० - चौथा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त ६ - पाँचवा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • मंगलवार, २०२३  अगस्त ७ - श्रावण समाप्त।

श्रावण सोमवार व्रत - मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश।  

  • रविवार, २०२३  जुलाई २५ - श्रावण मास की शुरुवात।  
  • सोमवार, २०२३  जुलाई २६ - प्रथम श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त २ - दूसरा  श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त ९ - तीसरा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • सोमवार, २०२३  अगस्त १६ - चौथा श्रावण सोमवार व्रत। 
  • रविवार, २०२३ अगस्त २२ - श्रावण समाप्त।

श्रावण सोमवार व्रत करने के फायदे:

  • श्रावण सोमवार व्रत करने से चंद्र ग्रह का दोष दूर होता है, जिससे मानसिक रोग में शांति, तनाव और चिंता से मुक्ति, श्वसन से जुडी बीमारियां दूर होती है। 
  • सुहागन महिला द्वारा किये श्रावण सोमवार व्रतसे पतिकी रक्षा होती है एवं अविवाहहित स्त्री द्वारा व्रत करने पर मनचाहे पति की प्राप्ति होती है।  
  • श्रावण सोमवार व्रत करने से धन, विद्या एवं ज्ञान में वृद्धि होती है 
  • इस व्रत के प्रभाव से दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है, जिससे परिवारमें सुख-शांति बनी रहती है।
  • इस व्रत के प्रभाव से निरोगी काया तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  • श्रावण सोमवार व्रत करने से दुर्घटना एवं अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

त्र्यंबकेश्वर में श्रावण मासमें की जानेवाली विशेष पुजाएँ:

  • श्रावण मास के दौरान भोलेनाथ से कष्टों का निवारण करने हेतु पितृदोष निवारण पूजा की जाती है जैसे नारायण नागबलि पूजा, त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा। 
  • पुरे भारत में त्र्यंबकेश्वर एकमात्र ऐसी देवभूमि है जहाँ नारायण नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा कराई जाती है। 
  • अनेक भक्त यहाँ कालसर्प योग शांति पूजा भी कराते है जो केवल त्र्यंबकेश्वर में ही की जाती है। 
  • कुछ भक्तों के जन्मकुण्डली में विवाह दोष होता है जो कुंभविवाह कराने से दूर होता है जो यहाँ किया जाता है।

पुरोहित संघ संस्था द्वारा प्राचीन दस्तावेज ताम्रपत्र को आधिकारिक रूप से संरक्षित किया गया है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा-विधि करनेका अधिकार सिर्फ “ताम्रपत्रधारी गुरूजी” को ही प्राप्त है। सभी ताम्रपत्रधारी गुरूजीओंको ताम्रपत्र एवं विशेष प्रमाणपत्र दिया गया है। सभी यात्रीगण तथा भाविकोंने ताम्रपत्र की पहचान करनेके बाद ही पूजा की जानी चाहिए जिससे पूजा सही ढंग से हो तथा त्र्यंबकेश्वर महादेव का परम आशीष व कृपा प्राप्त हो।

त्र्यंबकेश्वर में होने वाला श्रावण त्यौहार:

श्रावण के हर सोमवार को त्र्यंबकेश्वर में सामूहिक पूजा-पाठ एवं भक्तों का मेला लगा हुआ रहता है। इस पुरे महीने यहाँ लाखों श्रद्धालुओं का आवागमन चलता है, किन्तु यहाँ विशेष तौर पर श्रावण मासके हर सोमवार को अनगिनत श्रधालुओं की भीड़ होती है। हजारो सालोंसे ऐसा कहा जाता आ रहा है की श्रावण के महीने में त्र्यंबकेश्वर के पास स्थित ब्रह्मगिरि पर्वत की प्रदक्षिणा अवश्य की जानी चाहिए। प्रदक्षिणा यह भक्तों द्वारा प्रदर्शित भोलेनाथ के प्रति सम्पूर्ण समर्पण का प्रतिक है।  

ब्रह्मगिरि पर्वत को की जानेवाली यह प्रदक्षिणा श्रावण महीने के हर सोमवार की जाती है क्यूंकि प्राचीन काल से यह मान्यता रही है की सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। प्रदक्षिणा के दौरान महिलाओं ने कीमती जेवर या सामान साथ न रखे ऐसी सलाह दी जाती है। प्रदक्षिणा के रास्ते में ऋषि गौतम एवं उनकी पत्नी की स्मृति के रूपमे एक मंदिर का निर्माण भी किया गया है। त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस प्रशासन सज्ज रहता है।

श्रावण सोमवार प्रदक्षिणा का मार्ग:

ब्रह्मगिरि की प्रदक्षिणा करते समय दो तरह के मार्ग लिए जाते है, एक छोटा मार्ग होता है जो २० किमी का है तथा दूसरा लम्बा एवं ४० किमी का है।

श्रावण मासके पहले सोमवार को त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष पूजा का आरम्भ होता है, जो ताम्रपत्रधारी गुरूजी द्वारा सम्पन्न होता है। इस पूजा को रूद्राभिषेकादि से पूर्ण करने के पश्चात मंदिर को दर्शन के लिए खुला किया जाता है। मंदिर को ऐसे विशेष दिनों में ही केवल रात्रि खुला रखने की परंपरा है। क़रीबन्द ४ से ५ लाख भक्त श्रावण के महीने में त्र्यंबकेश्वर आते है जिनमेंसे ३ से ३.५ लाख भक्त ब्रह्मगिरि पर्वत को प्रदक्षिणा करते है। प्रदक्षिणा के दौरान भक्तों को अनेक बार बारिश एवं फिसलन का खतरा उठाना पड़ता है पर भक्तों की भगवान त्र्यंबकेश्वर के प्रति आस्था के कारण उन्हें तकलीफ महसूस नहीं होती। इन तकलीफों से लड़ने के हेतु कुछ संस्थाएँ मुफ़्त में मेडिकल सुविधाओं का आयोजन कराती है। इसी दौरान कुछ सामाजिक संस्थाएँ, समूह एवं मददग़ार नागरिक भक्तोंको पानी की बोतल, भोजन एवं नाश्ता मुफ़्त में उपलब्ध कराते है।   

ऐसी मान्यता है की प्रदक्षिणा करने से भक्तोंके पाप नष्ट हो जाता है जिसके बाद भक्त पुण्यवान हो जाते है।

क्यों खास है तीसरा श्रावण सोमवार

ऐसा कहा जाता है की जो भक्त सच्ची श्रद्धा से ५ साल श्रावण मासमें आनेवाले हर तीसरे सोमवार को ब्रह्मगिरि की प्रदक्षिणा करता है वह मोक्ष एवं पुण्य का अधिकारी हो जाता है। इसीलिए त्र्यंबकेश्वर में श्रावण महीने के तीसरे सोमवार को ब्रह्मगिरि पर्वत की प्रदक्षिणा की जाती है, जिस कारण यहाँ भक्तों का जमावड़ा देखते ही बनता है। 

छोटी प्रदक्षिणा २० किमी अंतर की होती है जिसे ६ से ७ घंटो में पूरा किया जाता है, ४० किमी लम्बी प्रदक्षिणा पूरी करने के लिए १२ से १३ घण्टे का समय लगता है। बड़ी प्रदक्षिणा के दौरान ऐसे भक्त का साथ अवश्य होना जरुरी है जिसे प्रदक्षिणा का अचूक मार्ग एवं अनुभव हो।  

छोटी प्रदक्षिणा की शुरुआत पंचलिंग-ब्रह्मगिरि-लग्न, स्तम्भ-निल पर्वत से की जाती है तथा लम्बी प्रदक्षिणा की शुरुआत हरिहर गढ़-वेताल-पुराना सरोवर कुण्ड-रडकुंडी घात-लेकुरवाली देवी मंदिर से होकर त्र्यंबकेश्वरको समाप्त होती है। इस प्रदक्षिणा के दौरान भक्त बड़े ही उत्साह के साथ “बम भोले बम” तथा “हर हर गंगे” का नारा लगाते है।

त्र्यंबकेश्वर पहुँचने के लिए यातायात के साधन:

यहाँ आने के लिए एमटीडीसी की ओरसे नासिक से अनेक बस आती है। करीब ४०० बस भक्तों की सुविधा के लिए श्रावण महीने में उपलब्ध कराई जाती है। भक्तों को परेशानी ना हो इसीलिए जगह-जगह पर रुकने हेतु स्टॉप का निर्माण किया जाता है। जो भक्त अपनी कार या वाहन से आना चाहते है उन्हें मुख्य मंदिर से ५ या ६ किमी पहले उतरना होता है, क्युकि भक्तों भीड़ में वाहन को पार्क करने में असुविधा होती है।

त्र्यंबकेश्वर में भक्तों को ठहरने के लिए आवास:

यहाँ ठहरने हेतु भक्तों की जरुरत के लिए अनेक सुविधा है जैसे भक्त निवास, गेस्ट हाऊस, लॉज, डॉरमिटरी इत्यादि।   

त्र्यंबकेश्वर कैसे पहुँचा जाए? 

  • नासिक से त्र्यंबकेश्वर - २८ किमी की दुरी। 
  • मुंबई से त्र्यंबकेश्वर - १८६ किमी की दुरी। 
  • ठाणे से त्र्यंबकेश्वर - १६४ किमी की दुरी। 
  • पुना से त्र्यंबकेश्वर - २४१ किमी की दुरी। 
  • गुजरात (सुरत) से त्र्यंबकेश्वर - २३६ किमी की दुरी।
  • औरंगाबाद से त्र्यंबकेश्वर - २२४ किमी की दुरी।

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