कालसर्प योग पूजा मुहूर्त

by Pandit Pankaj Guruji

कालसर्प योग पूजा मुहूर्त

कालसर्प योग पूजा मुहूर्त

कालसर्प योग पूजा मुहूर्त

कालसर्प योग पूजा मुहूर्त: सही समय पर पूजा का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग (Kaal Sarp Yog) को अत्यंत प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण योग माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तब कालसर्प योग का निर्माण होता है। यह योग जीवन में संघर्ष, बाधाएँ, मानसिक तनाव और कभी-कभी आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है। हालांकि, शास्त्रों में इसके निवारण के लिए विशेष पूजन का उल्लेख मिलता है, जिसे कालसर्प योग पूजा कहा जाता है।

लेकिन क्या केवल पूजा करना पर्याप्त है? नहीं। पूजा का फल तभी मिलता है जब इसे सही मुहूर्त में किया जाए। इसलिए, इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कालसर्प योग पूजा का उचित समय कब होता है, किन-किन मुहूर्तों को शुभ माना जाता है और इसके पीछे क्या धार्मिक तथा ज्योतिषीय कारण हैं।


कालसर्प योग क्या है?

कालसर्प योग तब बनता है जब व्यक्ति की जन्मकुंडली में सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह योग 12 प्रकार का होता है, जैसे – अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, वासुकी कालसर्प योग आदि। प्रत्येक प्रकार का अलग प्रभाव जीवन पर पड़ता है।

इसके प्रभाव

  • विवाह में बाधाएँ

  • संतान प्राप्ति में विलंब

  • करियर और व्यवसाय में रुकावट

  • मानसिक अशांति और तनाव

  • आर्थिक संकट

इनसे निवारण पाने के लिए कालसर्प योग पूजा एक प्रामाणिक उपाय माना गया है।


पूजा में मुहूर्त का महत्व

भारतीय परंपरा में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने के लिए मुहूर्त का विशेष महत्व है। मुहूर्त का अर्थ है – शुभ समय। यह समय ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को देखकर तय किया जाता है।

यदि कालसर्प योग पूजा शुभ मुहूर्त में की जाए, तो यह अत्यंत फलदायी होती है। वहीं, अशुभ समय में पूजा करने से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता।

शास्त्रों के अनुसार

  • मुहूर्त का निर्धारण चंद्रमा की स्थिति, नक्षत्र, वार और ग्रहों की दशा को देखकर किया जाता है।

  • पूजा का शुभ समय व्यक्ति की जन्मकुंडली के अनुसार भी बदल सकता है।

  • इसलिए, योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही पूजा का समय निश्चित करना चाहिए।


कालसर्प योग पूजा के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त

कालसर्प योग पूजा के लिए कुछ विशेष अवसर और समय अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

1. नाग पंचमी

नाग पंचमी को नागदेवता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कालसर्प योग पूजा करने से शीघ्र फल मिलता है।

2. श्रावण मास

श्रावण का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। चूंकि कालसर्प योग का संबंध सर्पों से है और शिव नागों के स्वामी हैं, इसलिए इस माह पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

3. ग्रहण काल

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण का समय ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष होता है। इस समय किए गए जप, दान और पूजन का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।

4. जन्मतिथि या जन्म नक्षत्र

कुछ लोग अपनी जन्मतिथि या जन्म नक्षत्र के आधार पर कालसर्प योग पूजा कराते हैं। इससे व्यक्तिगत रूप से अधिक लाभ मिलता है।

5. त्र्यंबकेश्वर के विशेष मुहूर्त

महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर विशेष रूप से कालसर्प योग पूजा की जाती है। यहां योग्य पंडित ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार विशेष मुहूर्त बताते हैं।


कालसर्प योग पूजा मुहूर्त 2025 में

  • जनवरी 2025 के लिए 7 , 9 , 11 , 12 , 13 , 15 , 18 , 19 , 22 , 24 , 25 , 26 , 28 , 30 ।
  • फरवरी 2025 यह 1 , 2 , 4 , 6 , 8 , 9 , 11 , 13 , 15 , 16 , 17 , 19 , 21 , 23 , 25 , 27 , 29 है ।
  • मार्च 2025 के लिए यह 1 , 2 , 4 , 7 , 8 , 10 , 13 , 14 , 15 , 18 , 21 , 22 , 23 , 25 , 28 , 29 , 31 है।
  • अप्रैल 2025 यह 1 , 2 , 4 , 5 , 6 , 8 , 10 , 11 , 12 , 14 , 18 , 19 , 20 , 22 , 25 , 26 , 28 , 30 है।
  • मई 2025 के लिए यह 1 , 3 , 5 , 7 , 9 , 10 , 11 , 14 , 16 , 17 , 18 , 20 , 22 , 24 , 25 , 27 , 29 , 30 , 31 है।
  • जून 2025 यह 13 , 5 , 7 , 10 , 13 , 14 , 15 , 18 , 20 , 21 , 23 , 25 , 27 , 28 , 30 है ।
  • जुलाई 2025 के लिए यह 11 , 3 , 5 , 7 , 10 , 12 , 13 , 16 , 18 , 19 , 20 , 22 , 25 , 26 , 27 , 29 , 31 ।
  • अगस्त 2025 यह 1 , 2 , 3 , 5 , 7 , 8 , 9 , 12 , 15 , 16 , 18 , 19 , 21 , 22 , 23 , 26 , 29
  • सितंबर 2025 के लिए यह 1 , 3 , 6 , 7 , 10 , 12 , 13 , 15 , 17 , 19 , 20 , 21 , 24 , 26 , 27 , 29 है।
  • अक्टूबर 2025 यह 2 , 4 , 7 , 10 , 11 , 12 , 14 , 16 , 18 , 20 , 23 , 24 , 25 , 28 , 30 है।
  • नवंबर 2025 के लिए यह 21 , 5 , 7 , 8 , 9 , 12 , 14 , 15 , 16 , 19 , 21 , 22 , 25 , 27 , 29 , 30 है ।
  • दिसंबर 2025 यह 2 , 5 , 6 , 8 , 10 , 12 , 13 , 14 , 17 , 19 , 20 , 22 , 25 , 26 , 27 , 29 , 31 है।

पूजा के दौरान कौन-से नक्षत्र और वार शुभ होते हैं?

  • सोमवार और शनिवार को यह पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।

  • अश्लेषा, मृगशिरा और नाग नक्षत्र में पूजा करना शुभ होता है।

  • चतुर्थी, पंचमी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि भी श्रेष्ठ मानी जाती है।


कालसर्प योग पूजा विधि (संक्षेप में)

सही मुहूर्त में पूजा करने के साथ-साथ सही विधि का पालन करना भी आवश्यक है।

  1. सबसे पहले गणेश पूजन और संकल्प।

  2. नाग-नागिन की प्रतिमा की स्थापना।

  3. मंत्रोच्चारण और विशेष कालसर्प मंत्र जप।

  4. अभिषेक और पिंड दान।

  5. होम और आरती।

  6. दान और ब्राह्मण भोज।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: क्या कालसर्प योग पूजा किसी भी दिन की जा सकती है?

उत्तर: हाँ, लेकिन उचित फल पाने के लिए इसे शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य है।

प्रश्न 2: नाग पंचमी पर पूजा करना क्यों श्रेष्ठ है?

उत्तर: क्योंकि इस दिन नागदेवता की पूजा का विशेष महत्व होता है और शिव कृपा भी सहज रूप से प्राप्त होती है।

प्रश्न 3: क्या त्र्यंबकेश्वर में कराई गई पूजा अधिक प्रभावी होती है?

उत्तर: जी हाँ, क्योंकि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहाँ विशेष विधि से पूजा की जाती है।

प्रश्न 4: कालसर्प योग पूजा का समय कौन तय करता है?

उत्तर: योग्य पंडित या ज्योतिषी जन्मकुंडली और ग्रहों की स्थिति देखकर शुभ समय बताते हैं।

प्रश्न 5: यदि गलत मुहूर्त में पूजा हो जाए तो क्या नुकसान हो सकता है?

उत्तर: नुकसान नहीं होता, लेकिन अपेक्षित लाभ प्राप्त नहीं हो पाता।


निष्कर्ष

कालसर्प योग पूजा तभी पूर्ण और फलदायी होती है जब इसे सही विधि और सही मुहूर्त में किया जाए। नाग पंचमी, श्रावण मास और विशेष ग्रहण काल इस पूजा के लिए सर्वोत्तम समय माने जाते हैं। साथ ही, जन्मकुंडली और नक्षत्रों के आधार पर भी उपयुक्त मुहूर्त का चयन किया जा सकता है।

इसलिए यदि आप कालसर्प योग से प्रभावित हैं, तो योग्य पंडित या ज्योतिषी की सलाह लेकर शुभ मुहूर्त में पूजा अवश्य कराएं। यह आपके जीवन की बाधाओं को दूर कर सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।

You may also like

Leave a Comment

Call पंडित पंकज गुरुजी 9284065608